नीरजा फेम निर्देशक राम माधवानी और संदीप मोदी की क्राइम ड्रामा वेब सीरीज ‘आर्या’ कानूनी और गैर कानूनी दवाओं का कारोबार करने वाले एक परिवार की कहानी है। कहानी का केंद्र आर्या सरीन है, जो पति की मौत के बाद अपने बच्चों के रक्षण और पति के कर्जा को चुकाने के लिए न चाहते हुए भी अपने पुश्तैनी कारोबार की बागडोर संभालती है।

आर्या सरीन और तेज सरीन अपने तीन बच्चों के साथ किसी सुदूर स्थान पर जाकर खुशनुमा जीवन जीना चाहते हैं। आर्या की खुशी के लिए तेज आर्या के पिता के कारोबार से खुद को अलग करने की योजना बनाता है। दांव उस समय उलटा पड़ जाता है, जब तेज का साला संग्राम अपने विरोधी नशा तश्कर शेखावत की 300 करोड़ की कसाइनमेंट चुरा लेता है।
इसी बीच गुप्त जानकारी के आधार पर एसीपी खान की टीम संग्राम को एक पैकेट हेरोइन के साथ दबोच लेती है। अगले ही कुछ घंटों में तेज पर जानलेवा हमला होता है, जिसमें तेज की जान चली जाती है। चोरी हुए माल तक पहुंचने के लिए तेज और संग्राम के दोस्त और कारोबारी हिस्सेदार जवाहर को शेखावत के आदमी उठा लेते हैं। पर, माल उस स्थान से गायब हो जाता है, जहां पर माल को चोरी करने के बाद छिपाया गया था।
उधर, तेज की मौत के बाद एसीपी खान आर्या से उस पेनड्राइव के बारे में पूछता है, जो तेज जल्द ही एसीपी खान को देने वाला था। तेज की मौत के बाद आर्या के जीवन में ख़तरे और मुश्किलें बिन बुलाए मेहमानों की तरह चली आती हैं। एसीपी खान पेनड्राइव हासिल करने के लिए आर्या की गतिविधियों पर बाज नजर रखता है और शेखावत कर्जा माफी के बदले आर्या पर कुछ गैर कानूनी काम करवाने के लिए दवाब डालता है। इसके अलावा कुछ अज्ञात हमलावर भी आर्या के परिवार को परेशान करने लगते हैं।
इतनी कठिन परिस्थितियों के बीच आर्या सरीन किस तरह अपने जीवन की मुकिश्लों और ख़तरों को एक एक करके खत्म करती है को देखने के लिए वेब सीरीज आर्या देखनी होगी।

निर्देशक राम माधवानी, संदीप मोदी और विनोद रावल का निर्देशन सराहनीय है। तीनों निर्देशकों ने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। राम माधवानी और संदीप मोदी की लिखी पटकथा काफी रोमांच और सस्पेंस भरी है। आर्या शुरू से अंत तक सस्पेंस बनाए रखने में कामयाब रहती है। पुराने गानों का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है। कुछ बातों को कहने के लिए भगवद गीता का संदर्भ लिया गया है, जो काफी अच्छा प्रयोग कहा जा सकता है। आर्या का संपादन और फिल्मांकन दोनों की उत्तम दर्जे के हैं।
आर्या सरीन के किरदार में सुष्मिता सेन का अभिनय बेजोड़ है और यह एक दमदार वापसी है। चंद्रचूड़ सिंह का किरदार छोटा है, पर, अच्छा है। दौलत के किरदार में सिकंदर खेर, संग्राम के किरदार में अंकुर भाटिया, जवाहर के किरदार में नमित दास, शेखावत के किरदार में मनीष चौधरी, जोरावर के किरदार में जयंत कृपलानी, एसीपी खान के किरदार में विकास कुमार और बॉब के किरदार में Alexx O’Nell का अभिनय भी शानदार है। अन्य कलाकारों ने अपनी मौजूदगी अच्छे से दर्ज करवाई है, विशेषकर किशोर कलाकारों ने।
अन्य क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज की तरह आर्या में यौन संबंधों और अपशब्दों का तड़का नहीं लगाया। भले ही आर्या एक क्राइम ड्रामा वेब सीरीज है, पर, यह बड़े और आलीशान घरों के माहौल को बयान करती है, जहां सुख सुविधाओं के साथ साथ करियर अनिश्चिताएं, असुरक्षितता की भावनाएं, अकेलापन की समस्याएं और बुरी संगत में पड़ने की सुविधाएं भी निवास करती हैं।
आर्या के किशोर किरदार भी काफी अहम हैं, बदलते परिवेश को समझने के लिए, किशोर अवस्था की मनोदशा समझने के लिए। किशोरी अरु, अपने मौसा बॉब को लिप किस करती है और बॉब बुलाती है। एक जगह आर्या उसको टोकते हुए कहती है कि बॉब नहीं, बॉब मौसा। वीर का पल्लवी के साथ डेट करना आदि।