Saturday, December 21, 2024
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Movie Review : आयुष्‍मान, यामी और भूमि की बाला

उम्र के साथ साथ सिर के बाल झड़ना आम बात है, लेकिन, यदि उम्र से पहले सिर के बाल उड़ जाएं, और सिर चांद सा दिखने लगे, तो लड़कियां मुंह फेरने लगती हैं। खुद को आइना देखते हुए थोड़ा सा अजीब लगने लगता है, विशेषकर तब आप स्‍कूल टाइम में अपने आप को किसी हीरो से कम न समझते हों, और लड़कियों को भाव कम देते हो।

फिल्‍म बाला के बालमुकुंद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो सौंदर्य उत्‍पादों की कंपनी में मार्केटिंग से जुड़ा बंदा है, लेकिन, शादी की उम्र में उसके लिए रिश्‍ते खोजने टेढी खीर हो चला है, क्‍योंकि टकले से शादी करने को कोई तैयार नहीं। बाल उगाने के सैंकड़े उपाय करने के बाद अंत बाला विग पहनना शुरू कर लेता है।

बाला का आत्‍मविश्‍वास लौट आता है, और एक एड शूट के दौरान उसकी मुलाकात परी मिश्रा से होती है, जो मॉडल है, टिकटॉक पर काफी फेमस है। यहां तक कि बाला भी उसके प्रशंसकों में शामिल है। सेट पर बाला कुछ ऐसा करता है कि परी मिश्रा को बाला भा जाता है। दोनों मिलकर टिकटॉक बनाने लगते हैं और जल्‍द ही एक दूसरे के प्‍यार में पड़ जाते हैं। बाला अपने गंजेपन के बारे में परी से कोई बात नहीं करता, रिश्‍ता टूटने के डर से। परी को भी बाला के गंजेपन के बारे में कोई ख़बर नहीं। राजी खुशी दोनों की शादी हो जाती है। सुहागरात से ठीक पहले बाला का सच परी मिश्रा के सामने आ जाता है, बाला की एक बचपन की दोस्‍त लतिका के कारण, जो बाला पर बेहद गुस्‍से है क्‍योंकि बाला ने लतिका की मौसी के कहने पर लतिका की तस्‍वीरों को ब्राइट करके इंस्‍टाग्राम पर डाल दिया था।

बाला का सच सामने आते ही परी मिश्रा तुरंत मायके चली जाती है। डिवॉर्स का केस फाइल होता है। लतिका, जो पेशे से वकील है, बाला का केस लड़ती है। बाला लतिका त्रिपाठी की मदद से परी को वापिस घर ले आएगा या नहीं? बाला के गंजेपन का कोई इलाज हो पाएगा या नहीं?

निरेन भट्ट और पावेल भट्टाचार्य की कहानी को अमर कौशिक ने बड़ी खूबसूरत के साथ पर्दे पर उतारा है। अमर कौशिक का निर्देशन बेहतरीन है, जो फिल्‍म में गति बनाए रखता है, और गत‍ि ही फिल्‍म की जान है। हालांकि, मेकअप के मामले में फिल्‍म थोड़ा सा निराश करती है।

फिल्‍म बाला की काली कलूटी लतिका आत्‍मविश्‍वास से भरी हुई लड़की है, और हकीकत को स्‍वीकार करके चलती है, वो अपने आप को सुंदर बनाने के लिए प्रयास नहीं करती जबकि बाला हीनभावना से भरा हुआ किरदार है, उसको लगता है कि बाल चले गए, तो उसका सब चला गया।

बाला बाल वापस पाने के लिए हर हद तक जाता है, जो हास्‍य पर‍िस्थितियों को जन्‍म देता है।
फिल्‍म के संवाद काफी बेहतरीन हैं, चाहे कॉमिक हों, चाहे गंभीर हों। गुदगुदाने वाले, चार्मिंग और रोमांटिक सीनों में यामी गौतम और आयुष्‍मान खुराना बेहतर लगते हैं। लतिका का किरदार भूमि पेडनेकर ने बेहतरीन तरीके से अदा किया है।

फिल्‍म मनोरंजन के साथ साथ संदेश भी देती है। कुल मिलाकर कहें तो बाला एक मनोरंजक और संदेशवाहक फिल्‍म है, जो समय मिलने पर जरूर देखनी चाहिए।

Kulwant Happy
Kulwant Happyhttps://filmikafe.com
कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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