Saturday, December 21, 2024
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Movie Review : गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल : जय हिंद, ऑफिसर सक्‍सेना

गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल युद्ध में उतरने वाली भारतीय वायु सेना की महिला पायलट ऑफिसर गुंजन सक्‍सेना के जीवन पर आधारित है।

Gunjan Sexena Movie
Gunjan Sexena Movie

मुझे लगता है कि गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल एक प्रेम कहानी है, जहां एक लड़की को पायलट बनने के सपने से प्‍यार हो जाता है या कहूं कि गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल एक महाभारत है, जहां गुंजन सक्‍सेना अर्जुन और उसके पिता श्रीकृष्‍ण हैं, जो उसको रणभूमि में डटे रहने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल कारगिल युद्ध के एक सीन से शुरू होती है। भारतीय सेना पर पाकिस्‍तानी सेना ने हमला बोल दिया है। भारतीय सेना के जवान घायल हो चुके हैं और उनकी सहायता के लिए वायुसेना को जाना है। इस समय वायु सेना के पास गुंजन सक्‍सेना के अलावा अन्‍य कोई पायलट उपलब्‍ध नहीं है।

यहां से कहानी कुछ दशक पीछे चली जाती है, जहां गुंजन सक्‍सेना के दिमाग में पायलट बनने का ख्‍वाब पनना शुरू होता है। कहानी बताती है कि स्‍कूल टॉपर गुंजन सक्‍सेना का पायलट बनने का सपना किस तरह उसको एयर फोर्स ऑफिसर बनने के लिए प्रेरित करता है। पर, गुंजन सक्सेना के लिए एयर ऑफिसर बनने का सफर आसान नहीं रहा। एयर फोर्स में अपनी जगह बनाना गुंजन सक्‍सेना के लिए कितना मुश्‍किल भरा रहा, को जानने के लिए गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल देखिए।

शरण शर्मा का निर्देशन सराहनीय है। गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल की संवाद शैली और स्‍क्रीन प्‍ले दोनों कितने बेहतरीन हैं, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब दसवीं की कक्षा में टॉप करने के बाद भविष्‍य को लेकर चिंतित गुंजन सक्‍सेना पायलट बनने की इच्‍छा और अपने मन का डर अपनी सहेली के सामने प्रकट करती है, तो सहेली जवाब में कहती है, ‘पापा के पास ना बेफिक्र होकर जाओ, उन्‍हें बोल पापा, मेरी उम्र की लड़कियां लड़कों के साथ भाग जाती हैं, और मुझे देखो अपने ख्‍वाबों के साथ उड़ना चाहती हूं, अब बताओ मुझसे बेहतर बेटी कहीं मिलेगी आपको।’ गुंजन सक्‍सेना अपनी सहेली से पूछती है, ‘क्‍या पापा मान जाएंगे,’ जवाब में सहेली कहती है, ‘नहीं कंबल कुटाई करेंगे।’ साथ ही,  फिल्‍म संपादन भी काफी चुस्‍त है, जो बोरियत की मक्‍खियों को आस पास भिनभिनाने नहीं देता।

जान्‍हवी कपूर गुंजन सक्‍सेना के किरदार में अच्‍छी लगती हैं। भावनात्‍मक सीनों में जान्‍हवी कपूर के अभिनय की छटा खुलकर बिखरती है। पंकज त्रिपाठी की संवाद शैली और उनका अभिनय दोनों गुंजन सक्‍सेना के पिता के किरदार को दमदार बनाते हैं। इसके अलावा अंगद बेदी, मानव विज और विनीत कुमार सिंह का अभिनय सराहनीय है। इनका अभिनय ही तो गुंजन सक्‍सेना के किरदार को उभरने में मदद करता है।

गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल भले ही एक भारतीय वायु सेना की महिला पायलट के जीवन पर आधारित फिल्‍म हो, पर, यह एक पिता और पुत्री के सशक्‍त रिश्‍ते की कहानी भी है, जो काफी प्रेरणादायक है। कहानी बताती है कि किस तरह एक पिता अपनी बेटी को समाज का चक्रव्‍यूह भेदने के काबिल बनाता है।

सीधे सरल गीत संगीत वाली गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल एक पारिवारिक ड्रामा है, जो परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है।

फिल्‍म गुंजन सक्‍सेना द कारगिल गर्ल अंत में गुंजन सक्‍सेना के भाई की तरह आपको भी जय हिंद, ऑफिसर सक्‍सेना कहने पर मजबूर कर सकती है।

Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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