Friday, November 8, 2024
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मूवी रिव्‍यू : रोमांच और एक्‍शन भरपूर पैसा वसूल फिल्‍म नाम शबाना

जैसा कि हम जानते हैं कि शिवम नायर निर्देशित फिल्‍म नाम शबाना की कहानी, स्‍क्रीनप्‍ले और संवाद नीरज पांडे ने लिखे हैं और नीरज पांडे की विशेषता यह है कि वह फिल्‍म लिखते हैं, कहानी नहीं। इस बात का सशक्‍त उदाहरण नाम शबाना है, जो पहले शॉट से अंतिम शॉट तक बिना किसी सीधी सपाट कहानी के सिने प्रेमियों को बांधे रखती है।

फिल्‍म नाम शबाना में दूसरी खूबी यह है कि निर्देशक शिवम नायर और नीरज पांडे कहीं भी अभिनेता अक्षय कुमार के स्‍टारडम को लेकर लालची नहीं होते, और तापसी पन्‍नु पर ध्‍यान रखते हुए आगे बढ़ते हैं।

शबाना खान, जिस किरदार को तापसी पन्‍नु ने निभाया, मुस्‍लिम परिवार से संबंध रखती हैं और अपने पिता के खून के अपराध में जेल जा चुकीं हैं एवं एक हादसे में अपने दोस्‍त को भी खो चुकी हैं। शबाना खान को देश की खुफिया एजेंसी ट्रैक कर रही है। शबाना खान एक आम लड़की से किस तरह खुफिया एजेंट बनती हैं को फिल्‍म नाम शबाना में रोमांचक तरीके से पेश किया गया है।

तापसी पन्‍नु अपने किरदार के साथ पूरी तरह न्‍याय करती हैं। तापसी पन्‍नु के प्रेमी व दोस्‍त के रूप में ताहिर मिठाईवाला प्रभावित करते हैं। तापसी पन्‍नु की मां का किरदार निभाने वाली अदाकारा भी अपनी संक्षेप भूमिका में प्रभावित करती हैं।वीरेंद्र सक्‍सेना का अभिनय फिल्‍म को मनोरंजक बनाता है। खुफिया एजेंसी अधिकारी के रूप में मनोज बाजपेयी प्रभावित करते हैं। विलेन के किरदार में पृथ्‍वीराज सुकुमारन एकदम फिट बैठते हैं, जो दक्षिण भारतीय सिनेमा से आते हैं।

फिल्‍म नाम शबाना में अक्षय कुमार की मौजूदगी केवल अक्षय कुमार के दीवानों के लिए है क्‍योंकि अक्षय कुमार का गेटअप बेबी जैसा है, और यहां अक्षय कुमार के लिए करने को कुछ नहीं है। हालांकि, एजेंट भी अपना रूप बदलते रहते हैं, ऐसे में अक्षय कुमार के गेटअप के साथ थोड़ा सा रिस्‍क लिया होता, तो हो सकता था कि अक्षय कुमार की मौजूदगी भी अधिक प्रभावित करती। अनुपम खेर छोटी भूमिका में भी असर छोड़ते हैं। इसके अलावा डैनी और मुरली शर्मा की वार्तालाप दर्शकों, विशेषकर जो बेबी देख चुके हैं, को हंसाने में कामयाब होती है।

फिल्‍म का बैकग्राउंड म्‍यूजिक बेहतरीन है। एक्‍शन सीनों पर खूबसूरती से काम किया गया है। हालांकि, सिनेमेटोग्राफी में दमदार नहीं है क्‍योंकि कैमरा सही जगह फॉक्‍स होने की बजाय व्‍यापक जगह को कवर करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे फिल्‍म को कोई नौसिखिया शूट कर रहा हो।

कुल मिलाकर कहें तो शिवम नायर निर्देशित और नीरज पांडे लिखित फिल्‍म नाम शबाना एक पैसा वसूल मनोरंजक फिल्‍म है, जिसमें एक्‍शन और रोमांच का जबरदस्‍त तड़का है।

– प्रभात

Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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