उड़ता पंजाब अभिषेक चौबे की तीसरी निर्देशित फिल्म है, इससे पहले अभिषेक चौबे इश्किया और डेढ़ इश्किया का निर्देशन कर चुके हैं। उड़ता पंजाब को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कारण काफी प्रचार में मदद ली है। इतने बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार होने के बाद फिल्म से सिने प्रेमियों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। क्या ऐसे में उड़ता पंजाब सिने प्रेमियों का दिल जीतने में सफल होगी? या केवल प्रचार के दम पर कुछ दिन अच्छी कमाई करने के बाद फुस्स फटाका फिल्म साबित होगी?, जानिए हमारे समीक्षक बृज मोहन की नजर से।
फिल्म की कहानी में चार किरदार हैं, बिहारन लड़की (आलिया भट्ट), पुलिस अधिकारी सरताज सिंह (दिलजीत दुसांझ), गभरू टॉमी सिंह (शाहिद कपूर) और डॉक्टर प्रीत (करीना कपूर)। फिल्म की कहानी भारत पाकिस्तान की सीमा से शुरू होती है। पाकिस्तान से कुछ युवक रात के अंधेरे में आते हैं और एक रोटीनुमा पैकेट भारत की सरहद की तरफ हवा में उछालते हुए फेंकते हैं। यह पैकेट एक लड़की के हाथ लग जाता है, जो बिहार से पंजाब मजदूरी करने आई है। यह पैकेट उस लड़की के जीवन में तूफान लेकर आता है, जो एक कहानी के जरिये प्रस्तुत किया गया है।
गभरू टॉमी सिंह एक रॉकस्टार है, जो नशे की लत ने बर्बाद कर दिया। उसकी नशे की लत किस तरह उसका जीवन बर्बाद करती है, उसको कहानी के जरिये प्रस्तुत किया गया है। पुलिस अधिकारी सरताज सिंह जो अन्य पुलिसियों की तरह रिश्वत खाता है, लेकिन, पैसे के बदले में छोड़ा गया, नशा उसके भाई को खाने लगता है। जब बाड़ खेत को खाने लगे तो किसान सोचने पर मजबूर हो जाता है, वैसे ही कुछ सरताज सिंह के साथ होता है, जिसको भी एक कहानी के जरिये पेश किया गया है, जिसमें डॉक्टर प्रीत शामिल हो जाती है। हर फिल्म की तरह उड़ता पंजाब के अंत में गुनाहगार मारे जाते हैं और हीरो बाजी मार ले जाता है।
निर्देशन की बात करें तो अभिषेक चौबे ने अच्छा निर्देशन किया है। मगर, पटकथा के लचीले और फीकेपन को छुपाने में अभिषेक चौबे चूकते हुए नजर आए। हालांकि, निर्देशक ने सभी किरदारों पर बराबर का ध्यान देने का प्रयास किया। कहानी को इतना खींचा गया है कि बीच बीच में लगने लगता है, कब खत्म हो गई। कहानी के अंत में सिरे खुले छोड़ दिए गए, जैसे पहले फिल्म का सीक्वल बनाने की योजना हो, और अंत समय पर अफरा तफरी में सीक्वल की योजना को कैंसिल करते हुए इसी कहानी में अंत शामिल कर दिया गया हो। निर्देशन की सराहनीय बात तो यह है कि फिल्म में कहीं कहीं आपको वास्तविकता झलकती नजर आएगी, जो दिल को छू जाएगी।
अभिनय की बात करें तो शाहिद कपूर ने नशेड़ी का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है। शायद कोई अन्य सितारा उतनी बाखूबी से तो न सके। फिल्म देखते देखते एक समय पर तो आपको शाहिद कपूर में असली नशेड़ी दिखाई पड़ने लग सकता है, यदि आप ने असली नशेड़ी देखा हो। पंजाबी सुपर स्टार दिलजीत दुसांझ की पहली हिन्दी फिल्म है। मगर, दिलजीत दुसांझ ने किरदार के साथ बेहतरीन तरीके से ताल मेल बिठाया है। करीना कपूर और आलिया भट्ट समेत अन्य सहयोगी कलाकारों ने भी बेहतरीन अभिनय किया।
मगर, सवाल उठता है कि क्यों फिल्म में करीना कपूर और आलिया भट्ट को लिया गया? आलिया भट्ट की कहानी शाहिद कपूर के साथ टकराने तक किसी से नहीं जुड़ती। आपको ऐसा लग सकता है कि दो फिल्में एक साथ चल रही हैं, एक फिल्म में आलिया भट्ट नायिका है और दूसरी में टॉमी सिंह, दिलजीत दुसांझ और करीना कपूर नायक हैं। और अंत से पहले दो फिल्मों का विलय हो जाता है, जैसे टेलीविजन के धारवाहिकों के महा एपिसोड के दौरान होता है।
अभिनेत्री करीना कपूर एक डॉक्टर हैं, जिसकी मौत उसके ही एक मरीज के हाथों हो जाती है और जो जिम्मा करीना कपूर ने दिलजीत दुसांझ के साथ मिलकर उठाया होता है, वो केवल एक बदले में बदलकर रह जाता है। सच तो यह है कि करीना कपूर और आलिया भट्ट को जबरदस्ती फिल्म का हिस्सा बनाया गया है। इसके बिना भी एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी, और बोरिंग पटकथा के कुछ हिस्से अपने आप निकल जाते।
चलते चलते, मन सवाल उठने लगता है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को फिल्म में ऐसा क्या नजर आया जो एतराज जनक था। फिल्म देखने के बाद आप भी इस बात पर जरूर सोचेंगे। यदि आप गाली गालौच की बात करें तो फिल्म की कहानी के अनुसार सही है, यदि गुंडे मव्वाली, नशेड़ी और क्षुब्ध लोग गालियां नहीं देंगे तो गालियां बुरा मान जाएंगी।
नशे की तस्करी पर 90 के दशक में बहुत अधिक फिल्में बनी हैं, उड़ता पंजाब उनसे कुछ अलहदा नहीं है। बल्कि 90 के दशक की फिल्मों में तो गुंडे रेप तक करते हुए दिखाए जाते थे, इस फिल्म में तो एक भी बैड सीन नहीं, जिसके कारण आप को आंखें बंद करनी पड़ें। नशा तस्करी में नेताओं का हाथ तो हर फिल्म में होता है। रील के पुलिस अधिकारी नेताओं के तलवे तो वर्षों से चाटते आए हैं, यह फिल्म कौन सी नई रीति शुरू कर रही है।
उड़ता पंजाब क्यों देखने जाएं? यदि आप शाहिद कपूर को नशेड़ी और दिलजीत दुसांझ को पुलिस अधिकारी के रूप में बेहतरीन अभिनय करते हुए देखना चाहते हैं।
उड़ता पंजाब क्यों ना देखने जाएं? यदि आप इस फिल्म से बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं। यदि आप सोचते हैं कि फिल्म में आपको कुछ नया देखने को मिलेगा।
मेरी तरफ से फिल्म को 2 स्टार दिए जाते हैं, एक स्टार अभिनय के लिए और एक स्टार फिल्म में नशे के दुष्प्रभाव दिखाने के लिए। फिल्म का संगीत बेहद बेहूदा किस्म का है।