जी हां! धुनों का जादूगर एआर रहमान हुआ 49 वर्ष का

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जी हां! किशोर सिंथेसाइजर वादक से लेकर अंतरराष्‍ट्रीय संगीत में अपनी अलग पहचान बना चुके संगीतकार एआर रहमान 6 जनवरी 2016 को 49 वर्ष के हो गए। संगीत की दुनिया में लगभग हर अवार्ड से एआर रहमान को नवाजा जा चुका है, जिनमें गोल्डन ग्लोब, ऑस्कर, ग्रैमी, फिल्मफेयर अवार्ड से शामिल हैं।

एआर रहमान का पूरा अल्लाह रक्खा रहमान है और रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला है। रहमान के पिता आरके शेखर मलयाली फिल्मों में संगीत शिक्षा देते थे। रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की।

रहमान जब नौ साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया और पैसों की खातिर परिवार वालों को वाद्ययंत्र तक बेचने पड़े। महज 11 साल की उम्र में रहमान अपने बचपन के दोस्त शिवमणि के साथ ‘रहमान बैंड रूट्स’ के लिए सिंथेसाइजर बजाने का काम करने लगे। इसके अलावा, चेन्नई के बैंड ‘नेमेसिस एवेन्यू’ की स्थापना में भी रहमान का अहम योगदान रहा। रहमान पियानो, हारमोनयिम, गिटार तक बजाने में सक्षम थे।

रहमान के अनुसार सिंथेसाइजर कला और तकनीक का अद्भुत संगम है। जब रहमान बैंड ग्रुप में काम कर रहे थे, तभी उनको लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से स्कॉलरशिप मिला और इस कॉलेज से रहमान पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में तालीम हासिल की।

इसके बाद, सन् 1991 में एआर रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरू किया। सन् 1992 में रहमान को फिल्म निर्देशक मणि रत्नम ने ‘रोजा’ में संगीत देने का मौका दिया। रहमान को पहली ही फिल्म रोजा के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

विश्‍व के 10 सर्वश्रेष्‍ठ संगीतकारों में शामिल रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। रहमान एक अच्‍छे गायक भी हैं। देश की अजादी के 50वें सालगिरह पर 1997 में बनाया गया उनका अल्बम ‘वंदे मातरम’ बेहद कामयाब रहा। साल 2002 में जब बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने 7000 गानों में से अब तक के 10 सबसे मशहूर गानों को चुनने का सर्वेक्षण कराया तो ‘वंदे मातरम’ को दूसरा स्थान मिला। सबसे ज्यादा भाषाओं में इस गाने पर प्रस्तुति दिए जाने के कारण इसके नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है।

रहमान के गाए गीत ‘दिल से’, ‘ख्वाजा मेरे ख्वाजा’, ‘जय हो’ आदि भी खूब मशहूर हुए हैं। वर्ष 2010 में रहमान नोबेल पीस प्राइज कंसर्ट में भी प्रस्तुति दे चुके हैं।

वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रहमान को टीबी की रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सद्भावना दूत बनाया।

रहमान एक अच्छे पति और पिता भी हैं। संगीतकार की शादी सायरा बानू से हुई है और उनके तीन बच्चे खतीजा, रहीमा और अमीन हैं।

वर्ष 2000 में रहमान पद्मश्री से सम्मानित किए गए। फिल्म ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ के लिए रहमान को गोल्डन ग्लोब, ऑस्कर और ग्रैमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। इस फिल्म का गीत ‘जय हो’ देश-विदेश में खूब मशहूर हुआ। रहमान ने कई संगीत कार्यक्रमों में इस गीत को गाया।

रहमान चार राष्ट्रीय पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर पुरस्कार, दक्षिण बारतीय फिल्मों में बेहतरीन संगीत देने के लिए 13 साउथ फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। फिल्म ‘127 आवर्स’ के लिए रहमान बाफ्टा पुरस्कार से सम्मानित किए गए।

नवंबर 2013 में कनाडाई प्रांत ओंटारियो के मार्खम में एक सड़क का नामकरण संगीतकार के सम्मान में ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ कर दिया गया।

रहमान नित नई बुलंदियों को छू रहे हैं। उनके जन्मदिन पर हमारी यही कामना है कि वह सफलता का परचम ऐसे ही लहराते रहें। रहमान को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं!

-आईएएनएस/विभा वर्मा