सैयामी खेर ने मिर्जिया के लिए छह महीनों तक दिए ऑडिशन

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नई दिल्ली। फिल्म ‘मिर्जिया’ से बॉलीवुड में कदम रखने जा रहीं सैयामी खेर ने अपनी पहली ही फिल्म में दोहरी भूमिका निभाकर एक रिकॉर्ड बनाया है। वह इस फिल्म में काम करने को जीवन बदल देने वाला अनुभव बताती हैं।

सैयामी खेर ने फिल्म से जुड़ी तमाम बातों और अपनी भावी योजनाओं के बारे में आईएएनएस के साथ खास बातचीत की।

सैयामी ‘मिर्जिया’ के सफर को बताती हुई कहती हैं, “यह जिंदगी बदल देने वाला अनुभव रहा। राकेश सर का मेरे जीवन पर बहुत गहरा असर रहा है। मुझे राकेश सर में गुलजार साहब की झलक ही दिखाई देती है। इस एक ही फिल्म से बहुत कुछ सीखा है।”

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वह आगे कहती हैं, “मैंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है। इसके लिए मैंने छह महीने तक ऑडिशन दिए हैं। अक्टूबर 2013 से ऑडिशन देने शुरू किए थे। दिल्ली में घुड़सवारी सीखी। कई एक्टिंग वर्कशॉप की। तमाम स्क्रीन टेस्ट दिए तब जाकर मार्च-अप्रैल 2014 में यह फिल्म साइन की।”

मिर्जा-साहिबान बहुत ही चर्चित लोककथा है, लेकिन सैयामी इसके बारे में ज्यादा नहीं जानतीं। कारण पूछने पर वह कहती हैं, “मेरी स्कूलिंग महाराष्ट्र के पुणे में हुई हैं, जहां मैंने इसके बारे में न ही पढ़ा और न सुना। इस फिल्म को करने से पहले जब मुझे इसके बारे में पता चला तो मैंने तुरंत इसके बारे में गूगल से जानकारी बटोरनी शुरू की, लेकिन गूगल पर इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं है।”

सैयामी कहती हैं, “हमें राकेश सर ने कहा था कि इसके बारे में ज्यादा जानने की जरूरत नहीं है, इसलिए सिर्फ बेसिक जानकारी ही थी।”

सैयामी फिल्म में दोहरी भूमिका में हैं। इस अनुभव के बारे में पूछने पर वह कहती हैं, “मैंने जब यह सुना कि मैं हिंदी फिल्म जगत में डेब्यू फिल्म में दोहरी भूमिकाएं करने वाली पहली अभिनेत्री हूं तो अच्छा भी लगा, लेकिन यह काफी चुनौतीपूर्ण भी रहा।”

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वह अपने साथी कलाकार हर्षवर्धन के साथ काम कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “हर्षवर्धन काम के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। वह बहुत मेहनती हैं। अगर आमिर खान के बाद किसी को मिस्टर परफेक्शनिस्ट का टैग देना हो तो वह हर्षवर्धन ही होंगे।”

सैयामी की समानांतर सिनेमा और मसाला सिनेमा के मिले-जुले मिश्रण वाली फिल्में करना चाहती हैं, जिनकी हर तरह के दर्शक तक पहुंच हो। वह अपनी भावी योजनाएं बताते हुए कहती हैं, “मैं समानांतर और मसाला के मिश्रित स्वरूप वाली फिल्में करना पसंद करूंगी। इम्तियाज अली, जोया अख्तर जैसे निर्देशकों के साथ काम करने की तमन्ना है।

यह पूछे जाने पर कि सितारों के बच्चों को इंडस्ट्री में ज्यादा मिलते हैं, वह कहती हैं, “ऐसा बिल्कुल नहीं है। सितारों के बच्चों को इंडस्ट्री में एक खुला दरवाजा आसानी से मिल जाता है, जबकि सामान्य बैंकग्राउंड के लोगों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। यहां वही टिकता है, जिसमें प्रतिभा होती है। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा ऐसे तमाम उदाहरण हैं।”

सैयामी हालांकि अमिताभ बच्चन को आदर्श अभिनेता मानती हैं, लेकिन अभिनेत्रियों में वह प्रियंका चोपड़ा के फिल्मी ग्राफ से काफी प्रभावित हैं। -आईएएनएस