फिल्म काबिल, जो फिल्म निर्माता राकेश रोशन के पुराने फार्मूले (खुशी, अत्याचार और बदला) पर आधारित है, को फिल्म संजय गुप्ता ने अपने थ्रिलर निर्देशन कौशल से संवारा है।
फिल्म काबिल की कहानी बदले की कहानी है। ऋतिक रोशन की पत्नी यामी गौतम, जो रेप पीड़िता है, आत्महत्या कर लेती है। जब ऋतिक रोशन को इंसाफ नहीं मिलता तो खुद बदला लेने की ठान लेता है। हर फिल्म की तरह इस फिल्म में भी नायक अंत में विजय हासिल करेगा। हां, इस बार नायक दृष्टिहीण है।
फिल्म का निर्देशन बेहद खूबसूरत है, संजय गुप्ता बधाई लेने के काबिल हैं। फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी फिल्म का भावनात्मक पहलू है। अभिनेता ऋतिक रोशन का अभिनय बेहद उम्दा है। यामी गौतम की खूबसूरती स्क्रीन को निखारती है, जितने समय तक रहती है। रोहित रॉय और रोनित रॉय अपने अपने किरदारों में फिट बैठते हैं। अन्य कलाकार भी निराश नहीं करते।
फिल्म काबिल का गीत संगीत बेहतरीन है। एक्शन सीन भी लाजवाब हैं। रूमानी सीन आंखों को बिलकुल सुकून देते हैं। संवादों पर अच्छा काम किया गया है। कुल मिलाकर कहें तो काबिल देखने लायक फिल्म है।
यकीनन, फिल्म इंटरमेशन तक धीमी गति के साथ आगे बढ़ती है। लेकिन, इंटरवल के बाद फिल्म काफी रोचक और दिलचस्प हो जाती है। दरअसल, फिल्म काबिल का प्रस्तुतिकरण और अभिनय इतना शानदार है कि आपको पैसा वसूल होने जैसी फीलिंग आती है।
हालांकि, फिल्म काबिल को फिल्म की नजर से देखें क्योंकि रील और रियल में अंतर होता है। कुछ चीजें रील में हो सकती हैं, जो रियल में नहीं होती। इसलिए हर घटनाक्रम के पीछे रियलिटी खोजने में दिमाग जाया न करें।
यदि रेटिंग की बात करें तो फिल्म काबिल को 5 में से 3 स्टार रेटिंग आराम से दी जा सकती है।