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Movie Review : परी – बस कहने को हॉरर है, डरने जैसी कोई बात नहीं

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Movie Review : परी – बस कहने को हॉरर है, डरने जैसी कोई बात नहीं

छत पर खड़े होकर लड़का लड़की एक दूसरे से सवाल जवाब कर रहे हैं। ताकि एक दूसरे से शादी करने के बारे में फैसला ले सकें। ठीक उनके पीछे लहराते हुए सागर और हरियाली छोड़ते हुए पेड़ों का खूबसूरत दृश्य है।

लड़की लड़के से कहती है, तुम अकेले बोर होते हो। लड़का झेंपते हुए कहता है, नहीं। लड़की तपाक से कहती है, फिर तुम शादी क्यों करना चाहते हो? सहसा हंसी छुड़ा देने वाले संवाद से परी शुरू होती है।

प्याली को देखकर अर्णब अपने मां बाप के साथ कार में सवार होकर घर की ओर लौट रहा होता है, तभी बीच रास्ते उनकी कार एक बुढ़िया को उड़ा देती है। इस हादसे के बाद अर्णब के जीवन में रुखसाना कदम रखती है, जो बुढ़िया की बेटी है।

रुखसाना कोई आम लड़की नहीं है। रुखसाना की मां की बाजू पर लगी छाप कुछ लोगों को उसकी जान का दुश्मन बना देती है। रुखसाना के आगे पीछे कोई नहीं है। ऐसे में रुखसाना अर्णब के साथ आकर उसके घर में रहने लगती है। इस बात की भनक रुखसाना के दुश्मनों को लग जाती है। वो रुखसाना को मारना चाहते हैं और रुखसाना अर्णब से संतान चाहती है। इस बीच अर्णब को भी रुखसाना की सच्चाई पता चल जाती है।

रुखसाना की सच्चाई जाने के बाद अर्णब रुखसाना को मरवा देगा या रुखसाना की ख्वाहिश अनुसार उसको संतान इस सवाल का जवाब तो फिल्म देखने पर मिलेगा।

प्रोसित रॉय ने कहानी तो खूबसूरत चुनी। लेकिन, उसको पर्दे पर उतारने में पूरी तरह असम​र्थ दिखे। इस हॉरर फिल्म की उसी समय हवा निकल जाती है, जब डरावने सीनों पर दर्शक गुदगुदाने लगते हैं। फिल्म में हॉरर और थ्रिलर जैसी गति बनाए रखने में निर्देशक पूरी तरह से असफल रहे। यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म में सस्पेंस बरकरार रखने के चक्कर में पटकथा और कहानी का जमकर शोषण किया गया है।

अनुष्का शर्मा, परमब्रता चटर्जी और रजत कपूर ने अच्छा अभिनय किया है। लेकिन, फिल्म की कहानी दर्शकों को अपने साथ जोड़ने में असफल रहती है। दरअसल, शुरूआती भाग में दर्शकों को कुछ समझ नहीं पड़ता कि आखिर पर्दे पर चल क्या रहा है?। इसके अलावा फिल्म की कहानी भी ​आगे क्या होगा? जैसे सवाल की जिज्ञासा को मन में पनपने नहीं देती।

रुखसाना कभी सुपर वुमैन बन जाती है तो कभी असहाय महिला, यह बात फिल्म देखते हुए बार बार अखरती है। दरअसल, रुखसाना के किरदार को लेकर निर्देशक खुद भी उलझा हुआ नजर आया।

इसमें कोई शक नहीं कि अर्णब का किरदार शानदार लिखा गया है, जो कहानी का सूत्रधार भी है। लेकिन, प्रोफेसर खासिम के किरदार को बेहतर तरीके से लिखने की जरूरत थी, जो रजत कपूर ने निभाया है।

कुछ कुछ सीनों में बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमेटोग्राफी गजब की है। लेकिन, यहां पर दर्शक डराने की बजाय ठहाके मारने लगते हैं।

अंत में इतना कहूंगा कि यदि आप अनुष्का शर्मा अभिनीत ​परी को हॉरर थ्रिलर फिल्म मानकर देखने जा रहे हैं, तो आपके ​हाथ निराशा लगेगी क्योंकि हॉरर जैसा फिल्म में कुछ नहीं है। जो डरावने चेहरे फिल्म में डर पैदा करने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं, वो चेहरे ट्रेलर और पोस्टर पर पहले ही परिचित चेहरे बन चुके हैं।

– कुलवंत हैप्पी