Friday, November 22, 2024
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फिल्‍म समीक्षा – फिलौरी कहीं थोड़ी स्‍पर्शी, तो कहीं थोड़ी लौरी

सुहावनी सूरत अनुषका शर्मा ने फिल्‍म एनएच 10 के साथ अपने प्रोडक्‍शन हाउस की शुरूआत की थी और फिलौरी अनुष्‍का शर्मा के प्रोडक्‍शन हाउस की दूसरी फिल्‍म है।

इस बार भी अनुष्‍का शर्मा ने दर्द से लतपत एक अनूठी प्रेम कहानी को चुना है। लेकिन, अब की बार अनुष्‍का शर्मा सिने प्रेमियों को बांध पाने में कितनी सफल हुईं हैं, इस बारे में बात करने से पहले फिल्‍म की कहानी पर एक नजर डालते हैं।

फिल्‍म की कहानी एक युवती शशि की है, जो रूप नामक शख्‍स से बेहद प्‍यार करने लगती है। अचानक शशि के जीवन में कुछ ऐसा घटित होता है कि शशि आत्‍महत्‍या कर लेती है और आत्‍मा बनकर एक पेड़ पर रहने लगती है। आत्‍मा बन चुकी शशि के जीवन में एक दिन ऐसा आता है कि उसकी शादी गलती से एक 26 वर्षीय जीवित युवक, जो विदेश से भारत में शादी करने आया है, से हो जाती है, और यह युवक मांगलिक है।

बेचारा युवक, जो अभी अपनी प्रेमिका के साथ भी वैवाहिक जीवन शुरू करने को तैयार नहीं है, जीवन को मंगलमय बनाने के चक्‍कर में एक नई आफत गले डाल लेता है। इसके बाद जो होता है, उसको देखने के लिए फिल्‍म फिलौरी देखनी होगी।

फिल्‍म का निर्देशन अंशय लाल ने किया है, जो कुछ कुछ जगहों पर साफ चूकते हुए नजर आए। हालांकि, अंशय लाल ने कलाकारों से अच्‍छा काम लिया है। एक स्‍पर्शी और नई कहानी होने के बावजूद फिलौरी कहीं कहीं बोर करती है। अभिनेत्री अनुष्‍का शर्मा जीवित शशि के किरदार में बेहद प्रभावित करती हैं। हालांकि, भूत के किरदार में अनुष्‍का शर्मा बिना हाव भाव कड़क लहजे में बोलती हैं, जो अत्‍यधिक अभिनय लगता है। इसके अलावा मेहरीन पीरजादा ने एक प्रेमिका का, सूरज शर्मा ने उलझन में रहने वाले सोच से अपरिपक्‍व युवक का और दिलजीत ने एक गायक का किरदार बाखूबी निभाया है।

फिल्‍म में सूरज शर्मा और उसके नौकर के बीच का गलतफहमी भरा सीन, अनुष्‍का शर्मा और उसके भाई के बीच के भावनात्‍मक सीन, मेहरीन पीरजादा का अनुष्‍का शर्मा से बात करने वाला सीन सराहनीय है। फिलौरी के तीन किरदार दिलजीत, अनुष्‍का और सूरज संगीत को पसंद करते हैं, इसके बावजूद फिल्‍म का संगीतक पक्ष काफी कमजोर है।

फिल्‍म फिलौरी, जो शशि की दर्द भरी दास्‍तां है, कुछ सिने प्रेमियों के दिलों को छू सकती है और कुछ को बोर कर सकती है क्‍योंकि कहानी में नीरसता काफी है। हालांकि, निर्देशक ने इस बात का थोड़ा सा ध्‍यान जरूर रखा है कि आप फिलौरी को लौरी समझकर सो न जाएं, इसलिए बीच बीच में हास्‍य व चुटीले संवादों को पानी के छींटों के रूप में इस्‍तेमाल किया है।

फिल्‍म की कहानी कुछ नई थी, लेकिन, निर्देशक कसावट में मार खा गए, इसलिए फिल्‍म फिलौरी को हमारी ओर से 5 में से 2 स्‍टार दिए जाते हैं।

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Kulwant Happy
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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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