कोरोना वायरस ने मानवीय जीवन को बदलकर रखकर दिया। कोरोना के कारण उपजी विकराल परिस्थितियों में कुछ लोग घरों कें अंदर रहकर जीवन बचाने की कोशिश कर रहे हैं, तो कुछ लोग अचानक घरों में बंद हो जाने के कारण आत्महत्या जैसे अवांछनीय कदम उठाने पर मजबूर हो रहे हैं।
सादिक़ शेख की लघु फिल्म सुसाइड नॉट अ सॉल्यूशन कोरोना की पृष्ठभूमि पर रची गई है। फिल्म का नायक उस समय अचानक घर की चारदीवारी में कैद हो जाता है, जब देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए सरकार की ओर से यकायक लॉकडाउन की घोषणा कर दी जाती है।
सुसाइड नॉट अ सॉल्यूशन की शुरूआत दिल दहला देने वाले सपने से होती है, जहां पर नायक खुद को एक पंखे के साथ झूलते हुए पाता है। यह भयानक सपना नायक की नींद तोड़ देता है।
नायक अपने असल जीवन में आता है, जहां सरकार लॉकडाउन बढ़ाने की बात कर रही है। मकान मालिक किराया मांग रहा है। काम धंधा पूरी तरह ठप्प पड़ा है। राशन भी खत्म हो चुका है। उधारी का पैसा आने का नाम नहीं ले रहा है। लॉकडाउन के कारण नायक के दूरस्थ बसते परिवार की आर्थिक स्थिति भी जर्जर मकान सी हो चुकी है।
ऐसी तमाम परिस्थितियों के बीच पेंडुलम की तरह झूलता हुआ नायक असल में पंखे पर झूलने का निर्णय करता है। इसके आगे की कहानी के लिए Suicide Is Not A Solution देखिये।
सादिक शेख ने सुसाइड नॉट अ सॉल्यूशन को IFTDA की लघु फिल्म प्रतियोगिता के लिए बनाया है। सादिक शेख ने कम संसाधनों के इस्तेमाल से बेहतरीन फिल्म बनाई है। अभिनेता शिवम शुक्ला कोरोना के कारण विकराल परिस्थितियों में फंसे मध्यवर्गीय परिवार के युवक का किरदार बड़ी संजीदगी के साथ निभाया है।
सादिक़ शेख ने 11:25 मिनट की फिल्म में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है, जो सहारनीय है। हालांकि, फिल्म के अंत में तर्क कुतर्क की कमी खलती है।