कला मर रही है, मनोरंजन हावी है : रब्बी शेरगिल

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नई दिल्ली। उनका मानना है कि भारत में स्वतंत्र संगीत ‘छोटा भाई’ बन गई है और फिल्म संगीत ‘बड़ा भाई’ है। लेकिन इंडीगायक रब्बी शेरगिल का कहना है कि उन्हें ज्यादा चिंता इस बात की है कि ‘शुद्ध कला’ मर रही है और उसकी जगह मनोरंजन लेता जा रहा है।

शेरगिल ने आईएएनएस को एक साक्षात्कार में बताया, “कला धीरे-धीरे मर रही है और उसकी जगह मनोरंजन लेता जा रहा है। अब आजीविका चलाने के लिए ढेर सारे पैसों की जरूरत होती है, इसलिए लोग शुद्ध कला को जारी नहीं रख पा रहे हैं। लोगों को पैसों के लिए उनमें मिलावट करना पड़ रहा है।”

rabbi shergill big image
मुंबई के फोनिक्स मार्केटसिटी के डबलिन स्कवायर के द गिग हॉप में पिछले हफ्ते अपनी प्रस्तुति देनेवाले गायक ने बताया, “कहीं भी शुद्ध कला का प्रयास नहीं किया जा रहा। कला मर रही है और यह ढलान की तरफ है। मैं नहीं जानता कि क्या होगा, लेकिन मेरी चिंता स्वतंत्र कला को बचाने को लेकर है।”

शेरगिल ‘बुल्ला की जाना’ गाने से प्रसिद्ध हुए थे। दिल्ली के निवासी इस गायक ने 2015 में संगीत की दुनिया में अपने 10 साल पूरे किए। उन्होंने शाहरुख खान के लिए ‘जब तक है जान’ में ‘चल्ला’ गाना गाया था। इसके अलावा वे ‘तेरे बिन’, ‘तु मुन शुदी’ और ‘जुगनी’ जैसे प्रसिद्ध गीत गा चुके हैं।

उन्होंने कहा अगर आप अपने कैरियर की शुरुआत कर रहे हैं तो यह स्वतंत्र संगीत के लिए अच्छा समय है। लेकिन कुल मिलाकर बहुत उत्साहजनक माहौल नहीं है, खासतौर से पुराने गायकों के लिए।

उन्होने कहा, “एक जमाना था जब स्वतंत्र संगीत फिल्मों से भी बड़ा था। लेकिन 2007 के बाद से इसमें गिरावट आने लगी। अब यह ‘छोटा भाई’ बन गया है।”

शेरगिल ने बताया कि स्टेट परफॉर्मेस के अलावा वह अपने नए एलबम पर काम कर रहे हैं, जो उनकी पिछली एलबम से ज्यादा चैतन्य होगी। यह पूछे जाने पर कि ‘रांझना’ के बाद क्या वह किसी और फिल्म का संगीत दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल कुछ हो सकता है।

-आईएएनएस/सुगंधा रावल