देखें या नहीं ? मोहनजो दरो

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मुम्‍बई। जोधा अकबर के बाद आशुतोष गोवरिकर और ऋतिक रोशन मोहनजो दरो लेकर आए हैं। लंबी अवधि की फिल्‍में बनाने के लिए जाने जाने वाले आशुतोष गोवरिकर ने मोहनजो दरो के लिए भी प्राचीन भारत की पृष्‍ठभूमि को चुना।

कहानी अमरी के एक नौजवान से शुरू होती है, जो मोहनजो दरो जाकर वहां के बेईमान हत्‍यारे प्रधान की मृत्‍यु के साथ खत्‍म होती है। इस युवक का मोहनजो दरो से पुराना रिश्‍ता है, जो उसको सपने में दिखाई देता है और जो उसको मोहनजो दरो की तरफ खींचता है।

mohenjo daro

निर्देशन की बात करें तो आशुतोष गोवरिकर का निर्देशन बेहद उम्‍दा है। हालांकि, शुरूआती चरण में कहानी बहुत सुस्‍त चाल से आगे बढ़ती है। फिल्‍म के पिछले आधे पौने घंटे को आशुतोष गोवरिकर ने खूब कसावट के साथ तैयार किया है, जो आपको बांधने में सक्षम होता है।

अभिनय की बात करें तो ऋतिक रोशन अमरी के युवक के रूप में जबरदस्‍त फिट बैठते हैं। ऋतिक रोशन के बिना इस फिल्‍म की कल्‍पना भी शायद बेईमानी होगी। हालांकि, बीच बीच में आपको अग्‍निपथ या ऋतिक के किसी अन्‍य किरदार की झलक दिखाई पड़ सकती है। पूजा हेगड़े का चुनाव बिलकुल सही है। चानी के किरदार में पूजा हेगड़े बिलकुल फिट बैठती हैं। कबीर बेदी, अरुणोदय सिंह क्रमश: महिम और मुंजा विलेन के किरदार में अद्भुत हैं जबकि पंडित और सृजन के किरदार में क्रमश: मनीश चौधरी और शरद केलकर जंचते हैं। किशोरी शहाणे, सुहासिनी मुले दोनों अपने किरदारों के साथ न्‍याय करती नजर आती हैं।

क्‍यों देखें – ऋतिक रोशन के अभिनय, एक्‍शन सीन। पूजा हेगड़े की खूबसूरत अदाओं, मासूमियत, ऋतिक रोशन के किसिंग सीन। कबीर बेदी, अरुणोदय सिंह के विलेन किरदार। आशुतोष गोवरिकर के निर्देशन के लिए।

क्‍यों न देखें – यदि आप बाहुबली जैसी फिल्‍म को फिर से नहीं देखना चाहते। यदि आप सुस्‍त चाल से आगे बढ़ती कहानी से उब जाते हैं। यदि आप बहुत अधिक तुलनात्‍मक स्‍वभाव के हैं।

हमारी तरफ से फिल्‍म को ढ़ाई स्‍टार दिए जाते हैं। हालांकि, यह हमारी अपनी निजी राय है, जो सब पर लागू नहीं होती है, क्‍योंकि हर किसी का अपना अपना एक नजरिया होता है।