Film Review : बहादुर लड़की के संघर्ष की अनूठी दास्‍तां ‘अकीरा’

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आमिर खान के साथ गजनी और अक्षय कुमार के साथ ‘हॉलीडे-ए सॉल्जर इज नेवर ऑफ ड्यूटी’ बना चुके एआर मुरुगदास सोनाक्षी सिन्‍हा, अनुराग कश्‍यप और कोंकणा सेन शर्मा के साथ अकीरा लेकर उपस्‍थित हुए हैं। अकीरा तमिल फिल्‍म मोना गुरू का हिन्‍दी संस्‍करण है।

sonakshi sinha akira

अकीरा की कहानी मुम्‍बई के जंगलों से शुरू होती है। जहां पर पुलिस तीन लोगों का एनकाउंटर करने वाली है, जिनमें अकीरा ( सोनाक्षी सिन्‍हा ) और दो लड़के शामिल हैं। पुलिस दो लड़कों का एनकाउंटर करने के बाद अकीरा की कनपटी पर गन रखती है। और कहानी कई साल पीछे चली जाती है। अकीरा के पुराने दिनों में। निर्देशक कहानी में रोचकता लाने और मानवीय संदेश देने के लिए तेजाब फेंकने जैसे मुद्दों को कहानी में जगह देते हैं। सोनाक्षी सिन्‍हा के पिता अतुल कुलकर्णी हैं, जो अपनी बेटी को खुद की रक्षा के लिए तैयार करते हैं। अकीरा के जीवन में एक ऐसा हादसा घटित होता है कि अकीरा को जेल जाना पड़ जाता है। इसके बाद जयपुर से मुम्‍बई पहुंचती है। मुम्‍बई पहुंचने पर भी मुसीबतें अकीरा का पीछा करना नहीं छोड़ती। अंत अकीरा का सामना मुम्‍बई के घटिया पुलिस अधिकारी अनुराग कश्‍यप से होता है। इस दौरान और भी बहुत कुछ घटित होता है, जो देखने पर अधिक समझ आएगा।

akira poster

निर्देशन एआर मुरुगदास का निर्देशन अच्‍छा कह सकते हैं। हालांकि, गजनी और हॉलीडे जैसी दक्षता अकीरा में देखने को नहीं मिलेगी। कहानी में कसावट की कमी महसूस होती है। फिल्‍म की शुरूआत काफी बेहतरीन तरीके से की गई है। एक्‍शन सीन बेहतरीन फिल्‍माए गए हैं। एआर मुरुगदास ने अकीरा बनाने का साहस किया है, इसके लिए एआर मुरुगदास बधाई के हकदार हैं।

अभिनय सोनाक्षी सिन्‍हा ने अपने किरदार को बहुत ही उम्‍दा तरीके से अदा किया है। अनुराग कश्‍यप ने साबित कर दिया कि बेहतर निर्देशन के अलावा बेहतर अभिनय कर सकते हैं। पुलिस अधिकारी के रूप में कोंकणा सेन शर्मा का अभिनय काबिले तारीफ है। अतुल कुलकर्णी का किरदार छोटा है लेकिन प्रभावशील अभिनय देखने को मिलता है।

हर फिल्‍म में एंटरटेनमेंट ही हो जरूरी नहीं, कुछ फिल्‍में ऐसी होती हैं, शायद जिनको एक समय पर बनाना जाना बेहद जरूरी है। हम अकीरा को उस श्रेणी में रखते हैं। इसलिए हमारी तरफ से अकीरा को साढ़े तीन सितारे दिए जाते हैं। और देखने के लिए सिफारिश की जाती है। हालांकि, यह हमारा अपना निजी विचार है, जो सभी पर लागू नहीं होता क्‍योंकि सबका अपना अपना एक नजरिया होता है।