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Movie Review : संजय लीला भंसाली की पद्मावत – राजपूती शौर्य की महागाथा

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Movie Review : संजय लीला भंसाली की पद्मावत – राजपूती शौर्य की महागाथा

फिल्म पद्मावत देखी, यकीन मानिए, हाल के सालों में मुझे एक भी ऐसी फिल्म याद नहीं, जिसने राजपूत शौर्य की गाथा का इतना अच्छा बखान किया हो। पहले दृश्य से लेकर आखिर तक दो चीज़ें लगातार आपके ज़हन में बनी रहती है।पहली, तो राजपूतों की वीरता, युद्ध के कठिन क्षणों में भी नीति सम्मत, धर्म के पथ पर उनका बना रहना, और अपने दुश्मन के सामने अपना सर कभी ना झुकने देना भले ही उसके लिए जान देनी पड़े।

और दूसरी, एक दरिंदे का पागलपन, जो अपनी जीत और हवस के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है। जिसके शब्दकोश में नीति और धर्म है नहीं, जो सत्ता के लिए अपने चाचा का कत्ल करता है, अपनी बीवी को कारागार में बंद करता है, जो भरोसे के काबिल नहीं, जो एक जानवर है, लेकिन इंसानी जिस्म में, यानी अलाउद्दीन खिलजी।

सिर्फ राजपूत ही नहीं, हर भारतीय, इस फिल्म के हर दृश्य में खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा, कि इस देश में रानी पद्मिनी जैसी वीरांगना ने जन्म लिया, जिसने साबित किया कि राजपूती कंगन में भी उतनी ही ताकत है, जितनी की राजपूती तलवार में… राजा रावल रतन सिंह जो अपने सिद्धांतों और राजधर्म के लिए कभी नीति और धर्म से नहीं डिगा, भले ही उसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी… और गोरा-बादल जिसने अपनी देशभक्ति और राजपूती शान के लिए अपनी जान का बलिदान दिया, और खास तौर पर गोरा सिंह, जिसका सर कटने के बाद भी उसकी तलवार चलती रही।

जिस तरह शिवाजी सिर्फ मराठों के नहीं है, महात्मा गांधी सिर्फ बनियों के नहीं है, सरदार पटेल सिर्फ पटेलों के नहीं है, वैसे ही रानी पद्मिनी सिर्फ राजपूतों की नहीं है, वो हमारी देश की साझा विरासत है, वो हर भारतीय की हैं, जो लोग उनका नाम लेकर लोगों को बांट रहे हैं, उनकी असली नीयत को समझिए।

करणी सेना जिस तरह उत्पात मचा रही है, वह रानी पद्मिनी से ज्यादा खिलजी से ज्यादा प्रभावित दिखती है, उसके रास्तों पर ही चलती प्रतीत होती है। जो रानी पद्मिनी-रावल रतन सिंह को अपना पूर्वज माने वो ऐसा उत्पात नहीं मचा सकते।

जहां तक फिल्म निर्माण की बात है, संजय लीला भंसाली ने ऐसी फिल्म बनाई है, जिसे शायद आने वाली पुश्तें बार-बार देखना चाहेगी। सभी किरदारों ने शानदार काम किया है, बेहद संयमित चेहरे मगर कमाल की अदाकारी।

इस फिल्म की सबसे बड़ी जीत यही है कि फिल्म देखने के बाद आपको सिर्फ रानी पद्मिनी ही नहीं, बल्कि राजा रावल रतन सिंह, अलाउद्दीन खिलजी, गोरा सिंह, बादल सिंह, मेहरुन्निसां, खिलजी का ‘खास सेवक’ मलिक कफूर तक सब याद रह जाते हैं।

Image Source : YouTube’s Twitter Handle

समीक्षक :
नरेश सोनी,
न्यूज वर्ल्ड इंडिया के एक्जिक्यूटिव एडिटर और न्यूज एंकर