Home Cine Special अभिनेता मनोज बाजपेयी भी आत्‍महत्‍या कर लेते यदि ऐसा न होता तो!

अभिनेता मनोज बाजपेयी भी आत्‍महत्‍या कर लेते यदि ऐसा न होता तो!

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अभिनेता मनोज बाजपेयी भी आत्‍महत्‍या कर लेते यदि ऐसा न होता तो!

उतार चढ़ाव सब की ज‍िंदगी में आते हैं और बुरे वक्‍त में इंसान के जीने की चाहत दम तोड़ने लगती है। असल में मानव भावनाओं और उम्‍मीदों से बना हुआ है, और जब सपने चकनाचूर होते दिखते हैं, तो सब कुछ बेमानी सा लगने लगता है। ऐसे ही दौर से गुजरे हैं अभिनेता मनोज बाजपेयी।

हाल ही में अभिनेता मनोज बाजपेयी ने ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ को एक इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्‍यू में मनोज बाजपेयी ने अपने जीवन के कुछ अनछूए पहलूओं पर प्रकाश डाला है।

पढ़ाई में मन न लगना
मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘9 साल की उम्र में, मैं जानता था कि मेरी मंजिल अभिनय है। पर, मैं सपने को जारी नहीं रख सकता था और पढ़ाई जारी रखी। मेरा दिमाग किसी अन्‍य चीज पर ध्‍यान लगाने से इंकार कर रहा था। इसलिए, 17 साल की उम्र में दिल्‍ली यून‍िवर्सिटी छोड़ दी। मैंने रंगमंच किया, पर, परिवार को पता नहीं था। अंत पिता को पत्र लिखा, पर उन्‍होंने डांटने की बजाय मुझे फीस भरने के लिए 200 रुपये भेजे। परिवार वालों ने घर बुलाने की कोशिश की और मैंने आंखें मूंद ली।’

आत्‍महत्‍या की कोशिश
फिल्‍म भोंसले (Movie Review: मनोज बाजपेयी की ‘भोंसले’ मसाला नहीं, मसअला फिल्‍म है) अभिनेता मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘मैं बाहरी था, और इसमें घुलमिलने की कोशिश कर रहा था। इसलिए मैंने इंग्लिश और हिंदी सीखी क्‍योंकि मेरा नाता भोजपुरी से था, इसलिए ये कैसे बोलता। उसके बाद मैंने NSD में दाखिला लेना चाहता और तीन बार असफल हुआ। मैं आत्‍महत्‍या करने वाला था। इस बात की भनक लगते ही दोस्‍त मेरे आस पास सोने लगे और उन्‍होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा। जब तक मैं संभल नहीं गया, तब तक उन्‍होंने मेरा ख्‍याल रखा।’

खटारा स्‍कूटर पर आई खुशख़बरी
जी हां, मनोज बाजपेयी के जीवन में खुशख़बरी खटारा पर सवार होकर आई थी। इस बारे में बात करते हुए मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘उस साल, मैं चाय की दुकान पर था, तभी तिग्‍मांशु धुलिया अपने खटारा स्‍कूटर पर मुझे खोजते हुए आया और बोला – शेखर कपूर बैंडिट क्‍वीन में मुझे कास्‍ट करना चाहते हैं। मुझे उस समय एहसास हुआ मैं तैयार था और मैं मुम्‍बई था।’

आगे का सफर
मनोज बाजपेयी के लिए आगे का सफर भी सरल तो नहीं था। मनोज बाजपेयी कहते हैं, ‘शुरूआती तौर पर, यह काफी मुश्‍किल था। मैंने 5 दोस्‍तों के साथ चॉल भाड़े पर ली और काम खोजना शुरू किया। पर, कोई रोल नहीं मिला। एक बार, एक सहायक निर्देशक ने मेरा फोटो फाड़ दिया और मैंने एक दिन में 3 प्रोजेक्‍ट गंवा दिए थे। इतना ही नहीं, मेरे पहले शॉट के बाद मुझे गेट आउट तक कह दिया गया था।’

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