फिल्‍म ‘तेरे बिन लादेन-डेड और अलाइव’ की समीक्षा

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हिन्‍दी सिने जगत में सफल फिल्‍मों का सीक्‍वल बनाने का चलन बढ़ता जा रहा है। मगर, फिल्‍म का सीक्‍वल मूल से आगे निकलने की बजाय पीछे रह जाता है। कुछ यही हाल है फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ के सीक्वल ‘तेरे बिन लादेन-डेड और अलाइव’ का।

फिल्‍म ‘तेरे बिन लादेन-डेड और अलाइव’ में कहानी नई एवं सितारे नए हैं। इस फिल्‍म में अली जाफर की जगह मनीष पॉल को फिट किया गया है। लादेन के किरदार में प्रद्युमन सिंह ही हैं। इस फिल्‍म का निर्देशन अभिषेक शर्मा ने किया है।

फिल्‍म की कहानी की बात करें तो पुरानी दिल्ली के एक हलवाई का लड़का शर्मा (मनीष पॉल) है, जो बॉलीवुड में अपना कैरियर बनाने के लिए उतावला है। इसी सिलसिले में शर्मा दिल्‍ली से मुम्‍बई तक का रास्‍ता नापता है और उसकी मुलाकात ओसामा बिन लादेन के हमशक्ल पद्दी सिंह (प्रद्युमन सिंह) होती है। शर्मा पद्दी सिंह को लेकर ओसामा के जीवन पर फिल्‍म बनाने की ठानता है। लेकिन, इसकी जानकारी अमेरिकी खुफिया विभाग के डेविड (सिकंदर खेर) और एक आतंकवादी खलीली को लग जाती है। बस इसके बाद के घटनाक्रम पूरी कहानी को आगे बढ़ाने का काम करते हैं।

निर्देशक अभिषेक शर्मा ने ‘तेरे बिन लादेन’ का उम्‍दा निर्देशन कर अपनी अलग पहचान बना ली थी। यकीनन, जब आप एक अच्‍छी फिल्‍म देते हैं तो अगली बार दर्शकों की उम्‍मीदें बढ़ जाती हैं। लेकिन, इस बार अभिषेक शर्मा का प्रयास उतना सफल नहीं हुआ, जितने की उम्‍मीद थी। फिल्‍म के दौरान दोहराव काफी है, जो बोरियत पैदा करता है।

अभिनय की बात करें तो मनीष पॉल अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं हुए। मनीष पॉल को थोड़ा सा सहज होने की जरूरत थी। कई दृश्‍यों में ओवर एक्टिंग करते हुए नजर आए। हालांकि, सिकंदर खेर अमेरिकी खुफिया अधिकारी की भूमिका में जंचते हैं। पीयूष मिश्रा एवं प्रद्युमन सिंह का अभिनय ठीक ठाक कह सकते हैं।

अंत में कहेंगे कि कई खामियों के बाद भी कॉमेडी के लिए इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है। हालांकि, यह फिल्‍मी कैफे की निजी राय है, जो सभी पर लागू नहीं होती क्‍योंकि सब का अपना अपना नजरिया होता है।