Sunday, December 8, 2024
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Movie Review – कारवां : ताबूत के साथ एक मनोरंजक यात्रा

फिल्म कारवां की कहानी एक तीर्थ यात्रा पर निकली बस से शुरू होती है, जो हादसाग्रस्त हो जाती है। इस बस में सवार दो अनजान वृद्ध यात्रियों की मौत हो जाती है, जिनकी लाशों की अदला बदली एक नये सफर और कहानी को जन्म देती है।

अविनाश, जो एक आईटी कंपनी में कार्यरत है, को अचानक पता चलता है कि तीर्थ यात्रा पर निकले उसके पिता का देहांत हो चुका है। अविनाश पिता के पार्थिव शरीर को लेने के लिए ट्रैवल एजेंसी की ओर से बताए गए पते पर पहुंचता है, जहां पहुंचकर उसे पता चलता है कि उसके पिता का शव एक अन्य मृतक महिला के पार्थिव शरीर के साथ बदल गया।

इसके बाद अविनाश अपने दोस्त शौकत को लेकर और उसकी वैन में मृत महिला के पार्थिव शरीर को रखकर अपने पिता की लाश लेने निकलता है। शौकत की वैन और कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती है, फिल्म रोमांचक से भावनात्मक होने लगती है।

फिल्मकार आकर्ष खुराना का उम्दा निर्देशन, चुस्त संपादन और ताजेपन से भरी पटकथा फिल्म की गति को मंद नहीं पड़ने देती, जो अच्छी बात है। फिल्म के चुटीले संवाद और इरफान खान की संवाद शैली स्क्रीन प्ले को और सशक्त बना देती है।

एक थके हारे युवक अविनाश के किरदार में दुलकर सलमान प्रभावित करते हैं। मिथिला पालकर ने आधुनिक युवती तन्या के किरदार को बड़ी सहजता के साथ निभाया है।

शौकत, जो इरफान खान ने अदा किया है, का किरदार रचे बिना कारवां की कल्पना करना मुश्किल है। शौकत के बिना बैंगलुरू से कोच्चि तक का सफर ताबूत में बंद लाश के साथ पूरा करना शायद ही किसी को मजा देता।

इरफान खान ने भी शौकत के किरदार को दिल से निभाया है, या कहें कि शौकत का किरदार इरफान खान के अब तक निभाये गए काॅमिक किरदारों में से सबसे ज्यादा सशक्त किरदार है।
इसके अलावा फिल्म कारवां को इसका बैकग्राउंड म्यूजिक, गीत संगीत और फिल्मांकन खूबसूरत बनाता है।

चलते चलते कारवां एक बेहतरीन मनोरंजक और पैसा वसूल फिल्म है। कारवां में कहीं न कहीं आधुनिक समाज के एक वर्ग की झलक मिलती है, जिसके लिए किसी अपने की मृत्यु अधिक महत्व नहीं रखती है। फिल्म कारवां का क्लाईमैक्स बेहतरीन है, जो फिल्मकार के नजरिये को स्पष्ट करता है।

कुलवंत हैप्पी

स्टार रेटिंग: 4 स्टार

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कुलवंत हैप्‍पी, संपादक और संस्‍थापक फिल्‍मी कैफे | 14 साल से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं। साल 2004 में दैनिक जागरण से बतौर पत्रकार कैरियर की शुरूआत करने के बाद याहू के पंजाबी समाचार पोर्टल और कई समाचार पत्रों में बतौर उप संपादक, कॉपी संपादक और कंटेंट राइटर के रूप में कार्य किया। अंत 29.01.2016 को मनोरंजक जगत संबंधित ख़बरों को प्रसारित करने के लिए फिल्‍मी कैफे की स्‍थापना की।
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